5 Easy Facts About Shodashi Described

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॥ अथ श्रीत्रिपुरसुन्दरीचक्रराज स्तोत्रं ॥

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥९॥

आस्थायास्त्र-वरोल्लसत्-कर-पयोजाताभिरध्यासितम् ।

वन्दे तामहमक्षय्यां क्षकाराक्षररूपिणीम् ।

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥४॥

सा मे मोहान्धकारं बहुभवजनितं नाशयत्वादिमाता ॥९॥

क्या आप ये प्रातः स्मरण मंत्र जानते हैं ? प्रातः वंदना करने की पूरी विधि

Shodashi’s mantra allows devotees launch previous grudges, agony, and negativity. By chanting this mantra, people today cultivate forgiveness and psychological launch, marketing comfort and a chance to transfer ahead with grace and acceptance.

श्रीचक्रवरसाम्राज्ञी श्रीमत्त्रिपुरसुन्दरी ।

षोडशी महाविद्या : पढ़िये त्रिपुरसुंदरी स्तोत्र संस्कृत में – shodashi stotram

Goddess Lalita is worshipped by way of several rituals and techniques, which include viewing her temples, attending darshans and jagratas, and accomplishing Sadhana for both of those worldly pleasures and liberation. Each and every Mahavidya, together with Lalita, has a specific Yantra and Mantra for worship.

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥११॥

The worship of Goddess Lalita is intricately linked Together with the pursuit of the two worldly pleasures and spiritual emancipation.

यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह click here साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।

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